1 अप्रैल शनिवार को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाला कामदा एकादशी व्रत है। इस व्रत को करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है, इसलिए इसे फलदा एकादशी भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। व्रत के एक दिन पूर्व एक बार भोजन करके भगवान का स्मरण किया जाता है और दूसरे दिन अर्थात एकादशी को प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प करके भगवान की पूजा अर्चना करने का विधान है। भगवान विष्णु को फूल, फल, तिल, दूध, पंचामृत आदि नाना पदार्थ निवेदित करें। दिन-भर भजन-कीर्तन करने के बाद रात्रि में भगवान की मूर्ति के समीप जागरण करना चाहिए। और दूसरे दिन व्रत का पारण करना चाहिए।
एकादशी व्रत में ब्राह्मण भोजन एवं दक्षिणा का बड़ा ही महत्व है।
अत: ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा सहित विदा करने के पश्चात ही भोजन ग्रहण करें। इस प्रकार जो चैत्र शुक्ल पक्ष में एकादशी का व्रत रखता है, उसकी कामना पूर्ण होती है।
जो भक्त भक्तिपूर्वक इस व्रत को करता है, उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा सभी पापों से छुटकारा मिलता है।
मेष राशि: शुद्ध घी में सिंदूर मिलाकर भगवान विष्णु के चित्र के आगे दीपक जलाएं।
वृष राशि: श्री कृष्ण के चित्र पर माखन का भोग लगाएं।
मिथुन राशि: भगवान वासुकीनाथ पर मिश्री का भोग लगाएं।
कर्क राशि: दूध में हल्दी मिलाकर भगवान नारायण के चित्र पर अर्पित करें।
सिंह राशि: भगवान मदन गोपाल के चित्र पर गुड़ का भोग लगाएं।
कन्या राशि: भगवान वेणुगोपाल पर तुलसी पात्र अर्पित करें।
तुला राशि: श्री हरि के चित्र पर मुल्तानी मिटटी का लेप लगाएं।
वृश्चिक राशि: दही में शहद मिलाकर श्री राधेश्याम के चित्र पर अर्पित करें।
धनु राशि: भगवान नंद गोपाल के चित्र पर चने का प्रसाद चढ़ाएं।
मकर राशि: श्री गोविंद के चित्र पर लौंग इलायची का तांबूल चढ़ाएं।
कुंभ राशि: भगवान नारायण के चित्र पर नारियल मिश्री चढ़ाएं।
मीन राशि: भगवान विष्णु के चित्र पर केसर से तिलक करें।