दरिद्रता एक ऐसा नाम है जिसे सुन कर ही मन में एक ग्लानि-सी पैदा हो जाती है। गरीबी में दबा हुआ व्यक्ति सदैव एक मानसिक तनाव और दबाव-सा महसूस करता है। उसे सदा एक डर-सा लगा रहता है कि यह धन हानि का सिलसिला कब खत्म होगा? कंगालियत में डूबे व्यक्ति को न दिन में चैन मिलता है न रात में।
धन का नाश व धन की कमी दूर करने के लिए
दरिद्रता नाश के लिए गायत्री की ‘श्री’ शक्ति की उपासना करनी चाहिए। मंत्र के अंत में तीन बार ‘श्रीं’ बीज का संपुट लगाना चाहिए। साधना काल के लिए पीत वस्त्र, पीले पुष्प, पीला यज्ञोपवीत, पीला तिलक, पीला आसन प्रयोग करना चाहिए। शरीर पर शुक्रवार को हल्दी मिले हुए तेल की मालिश करनी चाहिए और रविवार को उपवास करना चाहिए। गायत्री का ध्यान करना चाहिए।
पीतवर्ण लक्ष्मी जी का प्रतीक है, भोजन में भी पीली चीजें प्रधान रूप से लेनी चाहिए। इस प्रकार की साधना से धन की वृद्धि और दरिद्रता का नाश होता है।
ऋण के नाश, लाभ और व्यापार में वृद्धि के लिए एक आसान उपाय
यह प्रयोग नवरात्रि की अष्टमी के दिन किया जाता है। लाल रंग का चौकोर कपड़ा लें। उसे देवी जी के चित्र या मूर्ति के सामने चौकी (पटरा) पर बिछा लें। उसमें लाल चंदन का टुकड़ा, लाल गुलाब के साबुत पुष्प, रोली तथा 58 सिक्के (चवन्नी, अठन्नी, रुपया, 2 रुपए, 5 रुपए का कोई भी सिक्का परन्तु सभी समान मूल्य के) रखें। फिर कपड़े में सारा सामान लपेट कर, कपड़े की पोटली बनाकर अपने गल्ले या अलमारी या संदूक जो भी आपके हिसाब से उपर्युक्त स्थान हो, वहां रख दें। 6 माह बाद पुन: नवरात्रि की अष्टमी को इस प्रक्रिया को दोहराएं।